अध्याय 5 प्रोजेक्ट मुहिम शहर की गलियों में अब एक ही नाम गूंज रहा था — “ध्यान सभा।” लोगों ने इसे पहले एक शांति अभियान समझा था, पर अब वही सभा पुलिस की निगाहों में विद्रोह बन चुकी थी। कमिश्नर ने मीडिया…
अध्याय 4 मौन विद्रोह शाम ढल रही थी। खंडहर आश्रम की हवा में सुगंधित धूप की गंध फैल रही थी। अमित ध्यान सभा में पहुंचा तो उसने अचानक देव को अपनी तरफ आते देखा। वही पुराना चेहरा, और आँखों में एक अजीब-सा…
अध्याय 3 भीतर की आज़ादी लोगों को उनकी झूठी सच्चाई से दूर करना ही पॉल का मकसद था। उसके लिए वह कुछ भी कर सकता था — धोखा, छल, या किसी के विचारों तक से खेलना। वह मानता था कि दुनिया के ज़्यादातर लोग माया …
अध्याय 2 माया का सौदा पूजा, अमित के लिए किसी कैंसर की तरह बन गई थी—उसकी मौजूदगी में वह अंदर ही अंदर घुटने लगा था। उसके मन में डर की एक गहरी रेखा बैठ गई थी। उसने पूजा से कहा— "मैं जानता हूँ तुम्ह…
अध्याय 1 अधूरी नींद अमित की आँखों में अजीब-सी थकावट पसरी हुई थी। मानो महीनों से नींद और उसकी मानसिक शांति का रिश्ता टूट गया हो। छह महीने से अधिक समय बीत चुका था, परंतु उसे याद ही नहीं कि आख़िरी बार उ…
अध्याय 1: बिना कीमत की आवाज़ बडकोट की सुबह अक्सर कच्ची सड़क और कच्चे मकानों से लिपटी होती है लेकिन अर्जुन के लिए यह सिर्फ राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था का प्रतिबिंब नहीं था, बल्कि उसकी भीतरी विद्रोही स्…
अध्याय 2: अंधविश्वास की दरार बडकोट की गलियों में अब सिर्फ गायों की घंटियों की आवाज़ या विद्यालय में बच्चों की प्रार्थना की आवाज नहीं थीं — अब वहाँ चर्चा थी, बहस थी, और फुसफुसाहटें थीं। "कृपाल बा…
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